Saturday, January 21, 2012

Tuesday, February 22, 2011

मोटरसाईकिल चोर गिरफ्तार

मोटरसाईकिल चोर गिरफ्तार
टोंक 22 feb 2011-----   कोतवाली पुलिस ने आज दो मोटरसाईकिल चोर समेत तीन जनों को गिरफ्तार किया है। शहर कोतवाल मानसिंह चौधरी ने बताया कि १९ फरवरी को हरीश पुत्र रामस्वरूप हरिजन की एक मोटरसाईकिल सिटी पैलेस के समाने से चोरी चली गई थी। जिसका मामला दर्ज कर जांच की गई। जिस दौरान बीती रात एक व्यक्ति द्वारा मोटरसाईकिल छावनी में बेचने का पता चला तो मौके पर पहुंची पुलिस ने मुकेश पुत्र बिरधीचंद कोली निवासी जाटा पाड़ा पुरानी टोंक को धर दबोचा जिससे मोटरसाईकिल बरामद कर उसके साथी कमलेश पुत्र रामनारायण गुर्जर को भी गिरफ्तार कर लिया। उन्होनें बताया कि एक मकान से बर्तन एवं नगदी चोरी के मामले में दर्शन उर्फ बाबा पुत्र अशोक हरिजन निवासी काली पलटन टोंक को पकड़ा है। जिस पर महेश पुत्र नाथूलाल कोली निवासी काली पलटन के मकान का ताला तोडकर पीतल के बर्तन एवं एक हजार रूपए चोरी का आरोप है।

Wednesday, September 1, 2010

रवि विजयवर्गीय पीपलू

डिग्गी कल्याण मालपुरा 

ग्राम पंचायत सोडा
क्या आप यकीन करेंगे कि आज वह लडकी अपने गांव की सरपंच हैं, जिसने चित्तूर (आंध्र प्रदेश) के ऋषिवैली स्कूल से दसवीं तक पढाई की और मेयो कॉलेज, अजमेर में भी अध्ययन किया। इसके बाद दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से स्नातक और फिर पुणे से एमबीए करने के बाद पत्रकार के रूप में नौकरी की....
गांव की चौपाल पर बैठी किसी महिला सरपंच की आपकी कल्पना से इतर हैं छवि राजावत। राजस्थान के टोंक जिले में मालपुरा का एक छोटा सा गांव है सोडा। इस छोटे और अनजाने से गांव से मात्र ढाई महीने पहले सरपंच बनी छवि राजावत अन्य महिला सरपंचों से कई मायनों में वाकई अलग हैं। वे अपने गांव और गांव की बुनियादी समस्याओं को लेकर जानकारी, समझ और संवेदना तीनों के स्तर पर बहुत सजग और सक्रिय हैं। चौपाल और ग्राम सभाओं में चटख रंग के पारंपरिक पहनावे लहंगा-ओढनी पहने बैठी महिला सरपंच की जगह आप पाते हैं- जींस-टॉप वाले आधुनिक पहनावे और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली एक मॉडर्न सरपंच। लेकिन यह पहनावा और भाषा उनके और गांववासियों के बीच संवाद में कभी बाधा नहीं बना। वे कहती हैं, 'गांव में होने के बावजूद मेरे पहनावे ने मेरे लिए मुश्किल खडी नहीं की क्योंकि मैं इस गांव की बेटी हूं।
हां, अगर मैं यहां की बहू होती तो बात कुछ और हो सकती थी, तब मुझे अपने कपडों पर ध्यान देना पडता।Ó उच्च शिक्षित छवि ने एमबीए करने के बाद अखबार और एक टेलीकॉम कंपनी में काम किया। बाद में अपने परिवार के ही होटल व्यवसाय में मां को मदद की। छवि बताती हैं, सरपंच बनने के बाद अब अपने लिए समय कम ही मिल पाता है। गांव में होती हूं तो रोजाना सुबह सात बजे से गांव वालों से मुलाकात और तालाब पर खुदाई के कामों के बीच कब समय बीत जाता है, पता ही नहीं चलता।
ख्वाब छोटा सा
पानी की कमी से जूझ रहे गांववासियों को पीने का पानी मुहैया कराना उनकी पहली प्राथमिकता है और इसे दिशा में वे सार्थक प्रयास करती नजर आती हैं। गांव के रीते पडे तालाब को लेकर परेशान छवि का पहला प्रयास है कि कैसे भी करके मानसून से पहले उसकी खुदाई पूरी करा ली जाए ताकि बारिश का पानी सहेजा जा सके। करीब डेढ सौ बीघा में फैला तालाब मिट्टी भरने की वजह से समतल हो चुका है। हैरानी की बात है कि इसके लिए यह युवा सरपंच फावडे और पराती लेकर खुद मैदान में उतर आई हैं। उनके हौसले गांव की महिलाओं को प्रेरित करते हैं, वे उनका साथ देने के लिए घर से निकल श्रमदान के लिए आगे आई हैं।
ग्राम पंचायत सोडा
डिग्गी कल्याण मालपुरा 
डिग्गी कल्याण मालपुरा 

वि विजयवर्गीय
अपनी आखं से अपनी आंख को नहीं देखा जा सकता-सुधासागर
टोंक। टोंक की धरती पर चल रहे मुनि पुंगव संत सुधासागर महाराज का चार्तुमास में अमृत वचनों के बखान से जिला मुख्यालय सरोबार है। सुधासागर के सुधापान से टोंक में चल रहे उनके प्रवचनों को सुनने के लिए जैन समाज तथा धर्मावलम्बियों की भीड़ संत मुनि पुंगव सुधासागर के प्रवचन सभा में उमड़ रही है।
प्रवचन सभा में सुधासागर ने कहा कि मैं किसी का नहीं हूँ और मेरा कोई नहीं है। यह उत्कृष्ठ भाव है। हम किसी भी नियम को निदौष पालन करने में सफल नही है। मुनि सुधासागर महाराज ने कहा कि भारत क्षेत्र में तीर्थकर अनुगामी अवधि ज्ञानी होते है, परन्तु वर्तमान साधु संत सभी पूर्णत: रिद्धीधारी हो इसमें संशय है। आत्मकल्याणी और पर कल्याणी में भेद हैं। आत्म कल्याणी पर कल्याण के भाव से प्रवचन करते है पर वे भाषा समिति का ध्यान रखकर ही प्रवचन करते है। परमानंद निश्छत उपयोग के लिए निवृति भाव आवश्यक हैं। आहार निहार  व विहार का त्याग धर्म मार्ग में प्रवृति का मार्ग हैं। ये तीन त्याग करने का सामथ्र्य रखने वाला ही केवल्यज्ञान के पथ पर बढ़ सकता है। वहीं मोक्ष का मार्ग है। उन्होंने कहा कि मुनि गण के लिए तिल तुस मात्र का भी त्याग सप्तम गुण स्थान के लिए अपरिहार्य है। माँ के प्रति पुत्र का समर्पण ही सत्य का मार्ग है। क्योंकि माँ जो भी करेगी वह पुत्र के हक में ही करेगी। इसलिए जिन वाणी माँ व गुरु के प्रति समर्पित हो जाओं वे तुम्हारा कल्याण ही करेंगे। ठोकर लगाने के बाद बड़ो की बात का स्मरण करना पश्वाताप है पर पहले ध्यान रखेंगे तो ठोकर लगेगी ही नही। ज्ञानी दुर्घटना के पले व अज्ञानी दुर्घटना के बाद सोचता है। हम कितने ही बड़े हो जाए पर अपनी माँ व गुरु से बड़ा कभी कोई नहीं हो सकता। अपनी पसंद की वस्तु हमें दुख दे सकती है। पर माँ की अपने लिए पसंद की वस्तु कभी दुखदायी नहीं हो सकती। क्योंकि कोई भी माँ अपने पुत्र को अभक्ष गुटखा, सिगरेट या शराब के सेवन की सीख नहीं देती। गुरु के द्वारा शिष्य को दी गई वस्तु परिग्रह नहीं उपकरण कहलाती है। देखकर चलने के लिए पिच्छि कमण्डल उपहरण ही है। अंजन चोर गुरु के प्रति समर्पण भाव के कारण बिना पिच्छि कमण्डल के ही केवल ज्ञानी हो गया है। मौन रखना श्रेष्ठ है, बोलना नहीं। स्थिर रहना ठीक है, चलना नही। निराहार रहना ठीक है, पेट भरकर खाना ठीक नहीं है। मुनि के लिए कहा है मौन नहीं रहा जा सके तो हित, मित, प्रिय वचन बोलना सम्पयक रत्नत्रय की प्राप्ति के लिए साधु साधना करता है और साधु की साधना मार्ग में स्वस्थ शरीर आवश्यक है तथा स्वस्थ शरीर के लिए आहारचर्या भी अपेक्षित है। इसलिए संयक रत्नत्रय की आराधना के लिए आहारचर्या को उचित बताया गया हैं। संत मुनि सुधासागर ने कहा कि क्रिया के लिए शक्ति चाहिए, पर श्रद्धा के लिए शक्ति आवश्यक नहंी है और बिना श्रद्धा के अभीष्ठ की प्राप्ति संभव नहीं है। जैन दर्शन का प्रवृति मार्ग यह है कि अपने पद से नीचे आकर नीचे वालों को अपने से ऊपर के पद तक पहुुंचाना। चोर को चोर नहीं कहने से वह साहूकार नहीं हो जाता। जिसको धोक दी जाती है, उसे धोका नहीं दिया जाता। आत्मा को जानने के दो तरिके है एक अपने ओर एक पर दो जानना। अनादि काल से ज्ञान परान्मुखी रहा हैं स्वान्मुखी नही रहा। अपनी आंख से अपनी आंख को को नही देखा जा सकता। यह है सृष्टि का नियम। पर के दोष व गुण देखने में कोई परेशानी नही होती दूसरों के दोष देखकर पापी कहना सरल है ओर गुण देखकर गुणी कहना भी सरल हैं। हम विनाश करने वाले को ज्यादा पहनानते है ओर उसकी बाते याद रखते है पर हमारे विकास करने वाले को न तो पहचानते है ओर उसकी बातें याद रख पातें हैं। बरसों पुराने दुश्मन को ओर उसके शब्दों को हम आज तक भूला नही पाते परन्तु हमारे कल्याण के लिए संत के प्रवचन को थोड़ी देर बाद ही भूल जाते हैं। प्रवचन की बाते अच्छी तो लगती है पर वे अक्षरश: याद नही रह पाती। भय महत्वपूर्ण है। सभा में एक आतंकवादी आ जाए तो हडकम्प मच जाएगा। उसकी धमकी से डर जाएगें उस समय संत का आश्वासन परक प्रवचन निरर्थक लगेगा।  वह कभी भक्त के अहित की बात नही बोलता। हमारी श्रद्धाएं ऊपरी होने के कारण ही हम दु:खी रहते हैं। जब हमारी श्रद्धा भीतर से होगी तो हम सुख की अनुभूति करेगें संसारी व्यक्ति संसार के स्वरुप को जानता है इसलिए उसे उसी रुप में उपदेश देने की जरुरत हैं। जो देखने में अच्छी लगे वह छूने लगे जरुरी नही ओर जो छूने में अच्छी लगे जरुरी नही वह सूंघने में अच्छी ओर ओर जो खाने में अच्छी हों वह सपाच्य व गुणकारी हो जरुरी नही। स्वभाव भिन्नता प्रमुख है आदमी ठोकर खाकर ही सम्भलता हैं। पाप से घृणा करादों पुण्य स्वयं ही हो जाएगा। संसार की वस्तुओं को देखकर राग द्वेष का भाव जागता है। मित्र से राग नही ओर शत्रु से द्वेष नही का भाव ही उन्नत भाव है। राग-आग देह सदा। राग की आग जलाने वाली है इसलिए राग रहित जीवन का भाव बनाएं। संसारी प्राणी मन के वशीभूत है ओर मन स्थिर नही हैं। धन मूल्यवान है धर्म भी धन के बिना सम्भव नही हैं। जहां अभाव होता है वही भाव दिखाई देते है। आंख खरीदी नही जा सकती पर दर्पण खरीदा जा सकता है। भेंट दी हुई वस्तु पर स्वामित्व नही रह जाता दान दी हुई वस्तु के बदले कुछ भी अपेक्षा रखना दान का मान घटाना हैं। मंदिर तो जिनेन्द्र देव के होते है वे किसी जैनी, खण्डेलवाल या अग्रवाल का नही है।  मंदिर के मूल नायक के नाम से ही मंदिर का नाम लिखा जावे। जैन ओर अजैन में मूल भेद यह है जैन तो भेंट चढाते है वे वापस नही लेते उसे निर्माल्य मानते है जबकि अजैन भोग के रुप में चढा के प्रसाद के रुप में वापस ग्रहण कर लेते हैं। किसी भी कार्य की शुरुआत एक अच्छे उद्देश्य के लिए की जाती है पर कालान्तर में वह उद्देश्य गोण हो जाता है कोई भी नियम व कानून एक अच्छे उद्देश्य के लिए बनते है पर धीरे- धीरे उस उददेश्य से भटकना शुरु हो जाता है यह मंगल उदगार मुनि सुधासागर महाराज ने अतिशय क्षेत्र जैन नसियां में आयोजित धर्मसभा में कहें। मुनि महाराज ने कहा कि मंदिर बनना चाहिए यह सब चाहते है उसका प्रयास करके मंदिर भी बना देते है पर मंदिर बन जाने के बाद उसके प्रति भाव घटने लग जाते हैं। यह उद्देश्य के प्रति भटकाउ ही तो हैं। धर्म ओर धर्मात्मा की शरण में जीने व मंत्र की आराधना करने से मन की निर्मलता बढती है व पुण्य का प्रसार होता है भगवान तो अंतर्यामी है वह आपके सुख व दुख दोनो को जानते है कर्म सिद्धान्त के आधार पर मन वचन व काय से की गई हिंसा ही है काय से की गई हिंसा देखी जा सकती है वचन से की गई हिंसा सुनी जा सकती हैं पर मन से की गई हिंसा न देखी जा सकती हैं न सुनी जा सकती है व्यक्ति सबसे ज्यादा पाप मन से करता है मन की तरंगे मार लो बस हो गया धर्म रावण ने कभी भी कुदेव, कुगुरु व कुशास्त्र को नही माना पर सब कुछ ठीक होते हुए भी मन में विकार के कारण उसे पानी माना गया। मुनि सुधासागर महाराज ने धर्मसभा में कहा कि सच्चा साधु तो पूर्ण ज्ञानी हो व सुख व दुख के क्षणों में समता भाव रखता है वैद्य व कवि आभार के भूखे होते हैं उन्हे प्रशंसा चाहिए। आत्मा अजर व अमर है शरीर नश्वर है अनिष्ट के संयोग व इष्ट के वियोग में भी जो समता भाव रखे वह सम्यक दृष्टि हैं।

टोंक हिस्टोरिकल घंटाघर, सुनहरी कोठी,




डिग्गी कल्याण मालपुरा 


रवि विजयवर्गीय पीपलू टोंक राजस्थान
रामबाबू विजयवर्गीय पीपलू टोंक राजस्थान
दिनकर विजयवर्गीय पीपलू टोंक राजस्थान 
तथ्यभारती पीपलू टोंक राजस्थान 
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Friday, July 30, 2010

रवि विजयवर्गीय पीपलू टोंक राजस्थान

1981 का बाढ़ ऐसा था जिसका विवरण इस लेख में है
रवि विजयवर्गीय पीपलू टोंक राजस्थान
रामबाबू विजयवर्गीय पीपलू टोंक राजस्थान
दिनकर विजयवर्गीय पीपलू टोंक राजस्थान 
तथ्यभारती पीपलू टोंक राजस्थान 
बेस्ट फोटो

Thursday, March 25, 2010



रवि विजयवर्गीय
पीपलू टोंक राजस्थान




RAVI VIJAYVARGIYA, WRITER,
CHARBHUJAJI MANDIR KE PASS
PEEPLU TONK (Rajasthan) PIN-304801
Mo. 9414348397
Off.- CHARBHUJAJI MANDIR KE PASS PEEPLU
Ph. 01435-278384
RAVI VIJAYVARGIYA
REPRTER TAJBHARTI & TATHYABHARTI

रवि विजयवर्गीय details

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RAVI VIJAYVARGIYA
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Friday, March 5, 2010

tonk


दिनकर vijayvargia

दिनकर विजयवर्गीय, टोंक
मूलभुत सविधाओं से वंचित कस्बा नगरफोर्ट
टोंक। टोंक, देवली, उनियारा और नैनवां तहसील के मध्य में स्थित नगरफोर्ट कस्बा अपनी धरती के आंचल में कई ऐतिहासिक रहस्य समेटे हुए है। प्राचीनकाल में मालव गणराज्य मालवगण राज्य की सत्ता का प्रमुख केंद्र रही धारानगरी वर्तमान में उपेक्षा का शिकार है। कभी अपनी समृद्धि के लिए प्रसिद्ध मालव गणराज्य की सत्ता का केंद्र रहे कस्बे का आज कोई धणीधरी नहीं है और यहां के वाशिंदे मूलभूत सुविधाओं से तरस है।
वर्तमान कस्बा नगरफोर्ट प्राचीन काल में मालव गणराज्य की सत्ता का प्रमुख केंद्र रहा। कस्बे की चार दीवारी के बाहर करीब 8 किमी क्षेत्रफल में प्राचीन नगर के अवशेष टीलों के रूप में नजर आते है। इन टीलों को इतिहास में खेड़ा सभ्यता के नाम से जाना जाता है। खेड़ा सभ्यता के टीलों में कई प्राचीन मंदिर आज भी विद्यमान है और यहां की बसवाट सुनियोजित है। टीलों के नामकरण भी किसी बड़े शहर की भांति है। टीलों में जौहरी बाजार, माणक चौक आदि स्थल है, जहां आज भी रंगीन पत्थर और नगीने मिलते है। खेड़ा सभ्यता से उत्तर में हिंदु समाज की आस्था का प्रमुख केंद्र मांडकलां सरोवर है। सरोवर की बसवाट पुष्कर की भांति है और यहां विभिन्न समाजों के मंदिर बने हुए। इसलिए इस मांडकलां सरोवर को जिले में लघु पुष्कर के नाम से जाना जाता है और पुष्कर की भांति ही यहां कार्तिक पूर्णिमा पवित्र स्नान होता है तथा 15 दिवसीय मेला आयोजित होता है। खेड़ा सभ्यता के दक्षिण में प्राचीन राजा मुचकंदेश्वर महादेव मंदिर है। मंदिर में विश्व का एक मात्र ऐसा शिव लिंग है जिसके सिंदुरी (कामी) का चौला चढ़ाया जाता है। इसी मंदिर के गर्भगृह में सेन (नाई) समाज के आराध्यदेव श्यामजी महाराज की प्रतिमा भी विराजमान है।
खेड़ा सभ्यता की खुदाई ब्रिटिस शासन काल के दौरान प्रसिद्घ पुरातत्ववेत्ता जनरल कनिंघम के सहायक पुरातत्वविज्ञ कार्लाइन के सानिध्य में हुई थी। कार्लाइन ने खेड़ा सभ्यता के चार मीटर क्षेत्र की खुदाई कर सर्वेक्षण किया था, जहां उन्हे ६ हजार चांदी के सिक्के मिले थे। इन सिक्कों पर ब्राह्मी लिपि में 'मालवाना जयÓ 'जय मालव गणराज्य Ó और 'कई मालव राजाओं के नाम अंकित है। इससे यह अनुमान लगाया गया कि यह प्राचीन नगर मालव गणराज्य राजधानी एवं सत्ता का प्रमुख केंद्र रहा होगा है। यहां मिलने वाले अवशेष प्राचीन काल में इसकी समृद्धि के द्योतक है। सन् 1982-83 में उपतहसील का दर्जा प्राप्त इस प्राचीन कस्बे का वाशिंदे वर्तमान में वाशिंदे भूलभूत सुविधाओं का तरस रहे है। जनप्रतिनीधियों एवं प्रशासनिक उपेक्षा के चलते आज इस प्राचीन कस्बे का कोई धणीधोरी नहीं है।
कैसे हुआ नामकरण
प्राचीनकाल से इस कस्बे का नाम धारा नगरी था, लेकिन कलांतर में इसे नगर के नाम से जाना जाने लगा। लेकिन राज्य में अन्य गांवों का नाम नगर होने से कई बार यात्री भटकते रहने तथा डाक व्यवस्था गड़बड़ाने के कारण बाद में इसमें नगर में पहचान के लिए 'फोर्ट Ó शब्द जोड़ दिया और इस प्रकार इस कस्बे को नगरफोर्ट के नाम से जाना जाने लगा।
दिनकर विजयवर्गीय, टोंक
९५२९२३७३७८

Sunday, February 28, 2010

hi
i am ravivijayvargia piplu tonk rajastha

ravivijayvargia piplu tonk

प्रेषक:- रवि विजयवर्गीय पीपलू,टोंक
समाचार न. 1
पूर्व मंत्री चन्द्रभान एवं टोंक विधायक श्रीमति जकिया की हुई किरकीरी
- हाल ही में सम्पन्न पंचायतीराज चुनाव में कांग्रेस के दिग्गजो जो गहलोत सरकार के सवा साल के शासन को विकास का युग बताते नही थकते थे। उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को न केवल ग्रामीण जनता ने नकार दिया बल्कि उनकी प्रतिष्ठा को भी धूमिल कर दिया। जिनमें सबसे ज्यादा किरकीरी तो कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री डॉ. चन्द्रभान एवं टोंक विधायक श्रीमति जकिया की हुई है जिनकी तीनों पंचायत समितियों में भाजपा ने न केवल प्रधान बल्कि उपप्रधान भी बना लिए।
पंचायती राज चुनाव में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा टोंक विधायक जकिया की धूमिल हुई है जहां टोंक पंचायत समिति की पच्चीस सीटों मे से मात्र दस सीटे ही कांग्रेस को मिल पाई जबकि भाजपा ने पन्द्रह सीटे जीत कर कांग्रेस को करारी शिकस्त दी है। जहां भाजपा के खेमराज मीणा प्रधान चुने गए है वही उपप्रधान चुनाव में भाजपा के देवलाल गुर्जर के सामने चुनाव लडने से पहले ही कांग्रेस के राजाराम गुर्जर ने नाम वापस लेकर मैदान छोड दिया जिससे देवलाल को निर्विरोध उपप्रधान निर्वाचित  घोषित किया गया।
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष डॉ. चन्द्रभान मालपुरा व टोडारायसिंह पंचायत समिति के चुनाव में पूरी ताकत झोकंने के बाद भी कांग्रेस को बहुमत नहीं दिला पाये। जहां टोडारासिंह पंचायत समिति में भाजपा को 8  एवं कांग्रेस को 7 सीटे मिली तथा भाजपा की गीता देवी प्रधान व गोपाल सिंह उपप्रधान चुने गये।यही हाल मालपुरा पंचायत समिति का रहा जहां भाजपा को 11 व कांग्रेस को 9 तथा निर्दलीयों को तीन सीटों पर जीत मिली। प्रधान के चुनाव में भाजपा ने जोड-तोड कर दो निर्दलीयों को अपने पक्ष में करते हुए रामगोपाल चौधरी को प्रधान निर्वाचित करा लिया वही कपूर चंद को उपप्रधान बनाने में भी सफलता हासिल की है। वैसे तो प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. चन्द्रभान ने जी-तोड मेहनत कर दोनों पंचायत समिति सदस्यों से जोड-तोड कर प्रधान-उपप्रधान चुनाव में कांग्रेस का परचम फहराने का प्रयास किया लेकिन निराशा ही हाथ लगी।
देवली-उनियारा विधानसभा क्षैत्र से कांग्रेसी विधायक रामनारायण मीणा की दो पंचायत समितियों में से उनियारा में जहां कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पडा वही देवली पंचायत समिति में मीणा कांग्रेस का प्रधान व उपप्रधान बनाने में जरूर कामयाब हो गए लेकिन कांग्रेस की एकता देवली में बनाए रखने में सफल नही हो पाए जहां कांग्रेस के बागी घीसा लाल जांगिड ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उपप्रधान का चुनाव लडकर 9 मत हासिल किए।
वही निवाई से पहली बार विधायक बने कमल बैरवा ने न केवल अपनी प्रतिष्ठा बचाई बल्कि विरोध के बावजूद अपनी चचेरी बहिन एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री स्व. बनवारी लाल बैरवा की पुत्री श्रीमति अलका बैरवा को चुनाव में विजय श्री दिलवाकर निवाई का प्रधान भी बनवा दिया। साथ ही स्व. बैरवा के पुत्र मणिन्द्र सिंह के चुनाव की बागडोर संभाल जिला परिषद सदस्य बनवाने में भी सफलता हासिल की है।
जिले की छ: में से चार पंचायत समितियों में कांग्रेस की हुई करारी हार पर कांग्रेस के वरिष्ठ  उपाध्यक्ष अनवर आदिल का कहना है कि आप तो मुझसे जिला परिषद चुनाव की बात करो मैनें तो जिला प्रमुख व उपजिलाप्रमुख बनाने में सफलता हासिल की है। इतना ही नही दो निर्दलीयो सहित एक भाजपा सिम्बल से जीती महिला सदस्य से न केवल कांग्रेस के पक्ष मे वोट डलवाया बल्कि उसको कांग्रेस में भी शामिल करा दिया जो एक बडी उपलब्धि है। साथ ही उन्होने पंचायत समितियों में कांग्रेस की हार का ठीकरा सम्बन्धित विधायको पर फोडते हुए कहा कि प्रधान व उपप्रधान कि जिम्मेदारी उनके हाथो में थी जिसके लिए क्षैत्रीय विधायक जिम्मेदार है।
अब पंचायतीराज चुनाव के परिणाम के बाद कांग्रेसी चाहे हार का देाषारोपण एक-दूसरे पर कर रहे हो लेकिन सवाल उठता है कि सवा साल पहले विधानसभा चुनाव में बिजली, पानी, सडक जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर कांग्रेस ने चुनाव लडा था वह वायदे पूरे नही कर पाने के कारण ग्रामीण जनता का कांग्रेस से मोह भंग होता जा रहा है जिसके लिए कांग्रेस के सवा साल के शासन को जिम्मेदार मानते हुए पंचायतीराज चुनाव में टोंक जिले के मतदाताओं ने कांग्रेस को सबक सिखाया है।
समाचार न. २
प्रशासन शहरो के संग अभियान
अधिकारियों की दर-दर ठोकरे खाने के बाद भी नही बना प्रमाण पत्र
मुंशी को पचास-साठ रूपये दे दूंगा तो वो ही बनवा देगा प्रमाण पत्र

- यहां आदर्श नगर में नगर परिषद टोंक द्वारा आयोजित प्रशासन शहरों के संग अभिायान मात्र कागजी खानापूर्ति अभियान बन कर रह गया है। जहां एक दम्पत्ति को अपने दो मानसिक रूप से विकलांग बालकों का प्रमाण पत्र बनवाने  के लिए एक टेबिल से दूसरी टेबिल पर भटकना पडा। आदर्श नगर की नरम सेठ कालोनी के अब्दुल अजीज ने बताया कि उसके दो बालक आसिफ (10) एवं बाबू (5) है जो जन्म से ही मानसिक विकलांग है जिनका जगह-जगह इलाज कराया लेकिन हालत में कोई सुधार नही हुआ। उसको जब अपने वार्ड के प्रशासन शहरो के संग अभियान शिविर का पता लगा तो अपनी मजूदरी छोडकर पत्नी समेत दोनों बच्चो को लेकर आया है कि उन्हे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से कोई पेंशन या आर्थिक सहायता मिल जाए तो इनका लालन-पालन अच्छी तरह से कर सके। लेकिन पहले उनके मानसिक विकलांगता प्रमाण-पत्र की जरूरत होने के कारण वह शिविर में पंहुचा ताकि चिकित्सा विभाग से प्रमाण पत्र ले सकें। दम्पत्ति प्रशासन शहरों के संग अभियान के शिविर में दोनों बच्चों को लेकर एक टेबिल से दूसरी टेबिल तक कर्मचारियों के कहने के अनुसार चक्कर काटता रहा लेकिन बाद में एक महिला पार्षद ने उनको चिकित्सा विभाग के कर्मचारियों के पास भेज दिया जहां मौजूद चिकित्साकर्मियों ने शिविर में चिकित्सक मौजूद नही होने पर सआदत अस्पताल टोंक से मानसिक विकलांग होने के लिए मेडिकल रिपोर्ट के लिए भेज दिया। आसिफ ने बताया कि वह शिविर से दूर पांच किलोमीटर सआदत अस्पताल गया जहां डॉक्टर मौजूद नही थे तथा चपरासी ने उसको रविवार को आने की सलाह दी जिस दिन ही उसके दोनों बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी। जिसके बाद ही मानसिक विकलांग प्रमाण पत्र मिल सकेगा। इतना ही नहीं शिविर मे उपखण्ड अधिकारी के मौजूद नही रहने के कारण मूल निवास एवं जाति प्रमाण पत्र बनवाने वाले युवको को भी निराश होना पड रहा है जहां मात्र कागजी कार्यवाही पूरी कर केवल राजस्व विभाग का पटवारी रिपोर्ट कर रहा है। जाति व मूल निवास बनवाने आए एक युवक राजेन्द्र ने कागजात वापिस लेते हुए कहा कि इतने दिन इंतजार करने से तो अच्छा है किसी भी मुंशी को पचास-साठ रूपये दे दूंगा जो ही कागज तैयार कर प्रमाण पत्र बनवा देगा।
फोटो कैप्शन 01:- आदर्श नगर टोंक में आयोजित प्रशासन शहरों के संग शिविर में एक अल्पसंख्यक दम्पत्ति अपने दो मानसिंक विकलांग बच्चों के प्रमाण पत्र के लिए इधर-उधर भटकती हुई।
फोटो:- रवि विजयवर्गीय
प्रेषक
रवि विजयवर्गीय पीपलू, टोंक