Saturday, January 21, 2012
Tuesday, February 22, 2011
मोटरसाईकिल चोर गिरफ्तार
मोटरसाईकिल चोर गिरफ्तार
टोंक 22 feb 2011-----। कोतवाली पुलिस ने आज दो मोटरसाईकिल चोर समेत तीन जनों को गिरफ्तार किया है। शहर कोतवाल मानसिंह चौधरी ने बताया कि १९ फरवरी को हरीश पुत्र रामस्वरूप हरिजन की एक मोटरसाईकिल सिटी पैलेस के समाने से चोरी चली गई थी। जिसका मामला दर्ज कर जांच की गई। जिस दौरान बीती रात एक व्यक्ति द्वारा मोटरसाईकिल छावनी में बेचने का पता चला तो मौके पर पहुंची पुलिस ने मुकेश पुत्र बिरधीचंद कोली निवासी जाटा पाड़ा पुरानी टोंक को धर दबोचा जिससे मोटरसाईकिल बरामद कर उसके साथी कमलेश पुत्र रामनारायण गुर्जर को भी गिरफ्तार कर लिया। उन्होनें बताया कि एक मकान से बर्तन एवं नगदी चोरी के मामले में दर्शन उर्फ बाबा पुत्र अशोक हरिजन निवासी काली पलटन टोंक को पकड़ा है। जिस पर महेश पुत्र नाथूलाल कोली निवासी काली पलटन के मकान का ताला तोडकर पीतल के बर्तन एवं एक हजार रूपए चोरी का आरोप है।Wednesday, September 1, 2010
रवि विजयवर्गीय पीपलू
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डिग्गी कल्याण मालपुरा |
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ग्राम पंचायत सोडा |
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डिग्गी कल्याण मालपुरा |
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डिग्गी कल्याण मालपुरा |
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टोंक हिस्टोरिकल घंटाघर, सुनहरी कोठी, |
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डिग्गी कल्याण मालपुरा |
रवि विजयवर्गीय पीपलू टोंक राजस्थान
रामबाबू विजयवर्गीय पीपलू टोंक राजस्थान
दिनकर विजयवर्गीय पीपलू टोंक राजस्थान
तथ्यभारती पीपलू टोंक राजस्थान
बेस्ट फोटो
Friday, July 30, 2010
रवि विजयवर्गीय पीपलू टोंक राजस्थान
Wednesday, July 28, 2010
Monday, July 19, 2010
Sunday, July 18, 2010
Friday, May 21, 2010
Wednesday, March 31, 2010
Thursday, March 25, 2010
रवि विजयवर्गीय details
RAVI VIJAYVARGIYA, WRITER,
CHARBHUJAJI MANDIR KE PASS
PEEPLU TONK (Rajasthan) PIN-304801
Mo. 9414348397
Off.- CHARBHUJAJI MANDIR KE PASS PEEPLU
Ph. 01435-278384
RAVI VIJAYVARGIYA
REPRTER TAJBHARTI & TATHYABHARTI
CHARBHUJAJI MANDIR KE PASS
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RAVI VIJAYVARGIYA
REPRTER TAJBHARTI & TATHYABHARTI
Monday, March 8, 2010
Friday, March 5, 2010
दिनकर vijayvargia
दिनकर विजयवर्गीय, टोंक
मूलभुत सविधाओं से वंचित कस्बा नगरफोर्ट
टोंक। टोंक, देवली, उनियारा और नैनवां तहसील के मध्य में स्थित नगरफोर्ट कस्बा अपनी धरती के आंचल में कई ऐतिहासिक रहस्य समेटे हुए है। प्राचीनकाल में मालव गणराज्य मालवगण राज्य की सत्ता का प्रमुख केंद्र रही धारानगरी वर्तमान में उपेक्षा का शिकार है। कभी अपनी समृद्धि के लिए प्रसिद्ध मालव गणराज्य की सत्ता का केंद्र रहे कस्बे का आज कोई धणीधरी नहीं है और यहां के वाशिंदे मूलभूत सुविधाओं से तरस है।
वर्तमान कस्बा नगरफोर्ट प्राचीन काल में मालव गणराज्य की सत्ता का प्रमुख केंद्र रहा। कस्बे की चार दीवारी के बाहर करीब 8 किमी क्षेत्रफल में प्राचीन नगर के अवशेष टीलों के रूप में नजर आते है। इन टीलों को इतिहास में खेड़ा सभ्यता के नाम से जाना जाता है। खेड़ा सभ्यता के टीलों में कई प्राचीन मंदिर आज भी विद्यमान है और यहां की बसवाट सुनियोजित है। टीलों के नामकरण भी किसी बड़े शहर की भांति है। टीलों में जौहरी बाजार, माणक चौक आदि स्थल है, जहां आज भी रंगीन पत्थर और नगीने मिलते है। खेड़ा सभ्यता से उत्तर में हिंदु समाज की आस्था का प्रमुख केंद्र मांडकलां सरोवर है। सरोवर की बसवाट पुष्कर की भांति है और यहां विभिन्न समाजों के मंदिर बने हुए। इसलिए इस मांडकलां सरोवर को जिले में लघु पुष्कर के नाम से जाना जाता है और पुष्कर की भांति ही यहां कार्तिक पूर्णिमा पवित्र स्नान होता है तथा 15 दिवसीय मेला आयोजित होता है। खेड़ा सभ्यता के दक्षिण में प्राचीन राजा मुचकंदेश्वर महादेव मंदिर है। मंदिर में विश्व का एक मात्र ऐसा शिव लिंग है जिसके सिंदुरी (कामी) का चौला चढ़ाया जाता है। इसी मंदिर के गर्भगृह में सेन (नाई) समाज के आराध्यदेव श्यामजी महाराज की प्रतिमा भी विराजमान है।
खेड़ा सभ्यता की खुदाई ब्रिटिस शासन काल के दौरान प्रसिद्घ पुरातत्ववेत्ता जनरल कनिंघम के सहायक पुरातत्वविज्ञ कार्लाइन के सानिध्य में हुई थी। कार्लाइन ने खेड़ा सभ्यता के चार मीटर क्षेत्र की खुदाई कर सर्वेक्षण किया था, जहां उन्हे ६ हजार चांदी के सिक्के मिले थे। इन सिक्कों पर ब्राह्मी लिपि में 'मालवाना जयÓ 'जय मालव गणराज्य Ó और 'कई मालव राजाओं के नाम अंकित है। इससे यह अनुमान लगाया गया कि यह प्राचीन नगर मालव गणराज्य राजधानी एवं सत्ता का प्रमुख केंद्र रहा होगा है। यहां मिलने वाले अवशेष प्राचीन काल में इसकी समृद्धि के द्योतक है। सन् 1982-83 में उपतहसील का दर्जा प्राप्त इस प्राचीन कस्बे का वाशिंदे वर्तमान में वाशिंदे भूलभूत सुविधाओं का तरस रहे है। जनप्रतिनीधियों एवं प्रशासनिक उपेक्षा के चलते आज इस प्राचीन कस्बे का कोई धणीधोरी नहीं है।
कैसे हुआ नामकरण
प्राचीनकाल से इस कस्बे का नाम धारा नगरी था, लेकिन कलांतर में इसे नगर के नाम से जाना जाने लगा। लेकिन राज्य में अन्य गांवों का नाम नगर होने से कई बार यात्री भटकते रहने तथा डाक व्यवस्था गड़बड़ाने के कारण बाद में इसमें नगर में पहचान के लिए 'फोर्ट Ó शब्द जोड़ दिया और इस प्रकार इस कस्बे को नगरफोर्ट के नाम से जाना जाने लगा।
दिनकर विजयवर्गीय, टोंक
९५२९२३७३७८
मूलभुत सविधाओं से वंचित कस्बा नगरफोर्ट
टोंक। टोंक, देवली, उनियारा और नैनवां तहसील के मध्य में स्थित नगरफोर्ट कस्बा अपनी धरती के आंचल में कई ऐतिहासिक रहस्य समेटे हुए है। प्राचीनकाल में मालव गणराज्य मालवगण राज्य की सत्ता का प्रमुख केंद्र रही धारानगरी वर्तमान में उपेक्षा का शिकार है। कभी अपनी समृद्धि के लिए प्रसिद्ध मालव गणराज्य की सत्ता का केंद्र रहे कस्बे का आज कोई धणीधरी नहीं है और यहां के वाशिंदे मूलभूत सुविधाओं से तरस है।
वर्तमान कस्बा नगरफोर्ट प्राचीन काल में मालव गणराज्य की सत्ता का प्रमुख केंद्र रहा। कस्बे की चार दीवारी के बाहर करीब 8 किमी क्षेत्रफल में प्राचीन नगर के अवशेष टीलों के रूप में नजर आते है। इन टीलों को इतिहास में खेड़ा सभ्यता के नाम से जाना जाता है। खेड़ा सभ्यता के टीलों में कई प्राचीन मंदिर आज भी विद्यमान है और यहां की बसवाट सुनियोजित है। टीलों के नामकरण भी किसी बड़े शहर की भांति है। टीलों में जौहरी बाजार, माणक चौक आदि स्थल है, जहां आज भी रंगीन पत्थर और नगीने मिलते है। खेड़ा सभ्यता से उत्तर में हिंदु समाज की आस्था का प्रमुख केंद्र मांडकलां सरोवर है। सरोवर की बसवाट पुष्कर की भांति है और यहां विभिन्न समाजों के मंदिर बने हुए। इसलिए इस मांडकलां सरोवर को जिले में लघु पुष्कर के नाम से जाना जाता है और पुष्कर की भांति ही यहां कार्तिक पूर्णिमा पवित्र स्नान होता है तथा 15 दिवसीय मेला आयोजित होता है। खेड़ा सभ्यता के दक्षिण में प्राचीन राजा मुचकंदेश्वर महादेव मंदिर है। मंदिर में विश्व का एक मात्र ऐसा शिव लिंग है जिसके सिंदुरी (कामी) का चौला चढ़ाया जाता है। इसी मंदिर के गर्भगृह में सेन (नाई) समाज के आराध्यदेव श्यामजी महाराज की प्रतिमा भी विराजमान है।
खेड़ा सभ्यता की खुदाई ब्रिटिस शासन काल के दौरान प्रसिद्घ पुरातत्ववेत्ता जनरल कनिंघम के सहायक पुरातत्वविज्ञ कार्लाइन के सानिध्य में हुई थी। कार्लाइन ने खेड़ा सभ्यता के चार मीटर क्षेत्र की खुदाई कर सर्वेक्षण किया था, जहां उन्हे ६ हजार चांदी के सिक्के मिले थे। इन सिक्कों पर ब्राह्मी लिपि में 'मालवाना जयÓ 'जय मालव गणराज्य Ó और 'कई मालव राजाओं के नाम अंकित है। इससे यह अनुमान लगाया गया कि यह प्राचीन नगर मालव गणराज्य राजधानी एवं सत्ता का प्रमुख केंद्र रहा होगा है। यहां मिलने वाले अवशेष प्राचीन काल में इसकी समृद्धि के द्योतक है। सन् 1982-83 में उपतहसील का दर्जा प्राप्त इस प्राचीन कस्बे का वाशिंदे वर्तमान में वाशिंदे भूलभूत सुविधाओं का तरस रहे है। जनप्रतिनीधियों एवं प्रशासनिक उपेक्षा के चलते आज इस प्राचीन कस्बे का कोई धणीधोरी नहीं है।
कैसे हुआ नामकरण
प्राचीनकाल से इस कस्बे का नाम धारा नगरी था, लेकिन कलांतर में इसे नगर के नाम से जाना जाने लगा। लेकिन राज्य में अन्य गांवों का नाम नगर होने से कई बार यात्री भटकते रहने तथा डाक व्यवस्था गड़बड़ाने के कारण बाद में इसमें नगर में पहचान के लिए 'फोर्ट Ó शब्द जोड़ दिया और इस प्रकार इस कस्बे को नगरफोर्ट के नाम से जाना जाने लगा।
दिनकर विजयवर्गीय, टोंक
९५२९२३७३७८
Sunday, February 28, 2010
ravivijayvargia piplu tonk
प्रेषक:- रवि विजयवर्गीय पीपलू,टोंक
समाचार न. 1
पूर्व मंत्री चन्द्रभान एवं टोंक विधायक श्रीमति जकिया की हुई किरकीरी- हाल ही में सम्पन्न पंचायतीराज चुनाव में कांग्रेस के दिग्गजो जो गहलोत सरकार के सवा साल के शासन को विकास का युग बताते नही थकते थे। उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को न केवल ग्रामीण जनता ने नकार दिया बल्कि उनकी प्रतिष्ठा को भी धूमिल कर दिया। जिनमें सबसे ज्यादा किरकीरी तो कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री डॉ. चन्द्रभान एवं टोंक विधायक श्रीमति जकिया की हुई है जिनकी तीनों पंचायत समितियों में भाजपा ने न केवल प्रधान बल्कि उपप्रधान भी बना लिए।
पंचायती राज चुनाव में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा टोंक विधायक जकिया की धूमिल हुई है जहां टोंक पंचायत समिति की पच्चीस सीटों मे से मात्र दस सीटे ही कांग्रेस को मिल पाई जबकि भाजपा ने पन्द्रह सीटे जीत कर कांग्रेस को करारी शिकस्त दी है। जहां भाजपा के खेमराज मीणा प्रधान चुने गए है वही उपप्रधान चुनाव में भाजपा के देवलाल गुर्जर के सामने चुनाव लडने से पहले ही कांग्रेस के राजाराम गुर्जर ने नाम वापस लेकर मैदान छोड दिया जिससे देवलाल को निर्विरोध उपप्रधान निर्वाचित घोषित किया गया।
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष डॉ. चन्द्रभान मालपुरा व टोडारायसिंह पंचायत समिति के चुनाव में पूरी ताकत झोकंने के बाद भी कांग्रेस को बहुमत नहीं दिला पाये। जहां टोडारासिंह पंचायत समिति में भाजपा को 8 एवं कांग्रेस को 7 सीटे मिली तथा भाजपा की गीता देवी प्रधान व गोपाल सिंह उपप्रधान चुने गये।यही हाल मालपुरा पंचायत समिति का रहा जहां भाजपा को 11 व कांग्रेस को 9 तथा निर्दलीयों को तीन सीटों पर जीत मिली। प्रधान के चुनाव में भाजपा ने जोड-तोड कर दो निर्दलीयों को अपने पक्ष में करते हुए रामगोपाल चौधरी को प्रधान निर्वाचित करा लिया वही कपूर चंद को उपप्रधान बनाने में भी सफलता हासिल की है। वैसे तो प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. चन्द्रभान ने जी-तोड मेहनत कर दोनों पंचायत समिति सदस्यों से जोड-तोड कर प्रधान-उपप्रधान चुनाव में कांग्रेस का परचम फहराने का प्रयास किया लेकिन निराशा ही हाथ लगी।
देवली-उनियारा विधानसभा क्षैत्र से कांग्रेसी विधायक रामनारायण मीणा की दो पंचायत समितियों में से उनियारा में जहां कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पडा वही देवली पंचायत समिति में मीणा कांग्रेस का प्रधान व उपप्रधान बनाने में जरूर कामयाब हो गए लेकिन कांग्रेस की एकता देवली में बनाए रखने में सफल नही हो पाए जहां कांग्रेस के बागी घीसा लाल जांगिड ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उपप्रधान का चुनाव लडकर 9 मत हासिल किए।
वही निवाई से पहली बार विधायक बने कमल बैरवा ने न केवल अपनी प्रतिष्ठा बचाई बल्कि विरोध के बावजूद अपनी चचेरी बहिन एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री स्व. बनवारी लाल बैरवा की पुत्री श्रीमति अलका बैरवा को चुनाव में विजय श्री दिलवाकर निवाई का प्रधान भी बनवा दिया। साथ ही स्व. बैरवा के पुत्र मणिन्द्र सिंह के चुनाव की बागडोर संभाल जिला परिषद सदस्य बनवाने में भी सफलता हासिल की है।
जिले की छ: में से चार पंचायत समितियों में कांग्रेस की हुई करारी हार पर कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनवर आदिल का कहना है कि आप तो मुझसे जिला परिषद चुनाव की बात करो मैनें तो जिला प्रमुख व उपजिलाप्रमुख बनाने में सफलता हासिल की है। इतना ही नही दो निर्दलीयो सहित एक भाजपा सिम्बल से जीती महिला सदस्य से न केवल कांग्रेस के पक्ष मे वोट डलवाया बल्कि उसको कांग्रेस में भी शामिल करा दिया जो एक बडी उपलब्धि है। साथ ही उन्होने पंचायत समितियों में कांग्रेस की हार का ठीकरा सम्बन्धित विधायको पर फोडते हुए कहा कि प्रधान व उपप्रधान कि जिम्मेदारी उनके हाथो में थी जिसके लिए क्षैत्रीय विधायक जिम्मेदार है।
अब पंचायतीराज चुनाव के परिणाम के बाद कांग्रेसी चाहे हार का देाषारोपण एक-दूसरे पर कर रहे हो लेकिन सवाल उठता है कि सवा साल पहले विधानसभा चुनाव में बिजली, पानी, सडक जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर कांग्रेस ने चुनाव लडा था वह वायदे पूरे नही कर पाने के कारण ग्रामीण जनता का कांग्रेस से मोह भंग होता जा रहा है जिसके लिए कांग्रेस के सवा साल के शासन को जिम्मेदार मानते हुए पंचायतीराज चुनाव में टोंक जिले के मतदाताओं ने कांग्रेस को सबक सिखाया है।
समाचार न. २
प्रशासन शहरो के संग अभियान
अधिकारियों की दर-दर ठोकरे खाने के बाद भी नही बना प्रमाण पत्र
मुंशी को पचास-साठ रूपये दे दूंगा तो वो ही बनवा देगा प्रमाण पत्र
- यहां आदर्श नगर में नगर परिषद टोंक द्वारा आयोजित प्रशासन शहरों के संग अभिायान मात्र कागजी खानापूर्ति अभियान बन कर रह गया है। जहां एक दम्पत्ति को अपने दो मानसिक रूप से विकलांग बालकों का प्रमाण पत्र बनवाने के लिए एक टेबिल से दूसरी टेबिल पर भटकना पडा। आदर्श नगर की नरम सेठ कालोनी के अब्दुल अजीज ने बताया कि उसके दो बालक आसिफ (10) एवं बाबू (5) है जो जन्म से ही मानसिक विकलांग है जिनका जगह-जगह इलाज कराया लेकिन हालत में कोई सुधार नही हुआ। उसको जब अपने वार्ड के प्रशासन शहरो के संग अभियान शिविर का पता लगा तो अपनी मजूदरी छोडकर पत्नी समेत दोनों बच्चो को लेकर आया है कि उन्हे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से कोई पेंशन या आर्थिक सहायता मिल जाए तो इनका लालन-पालन अच्छी तरह से कर सके। लेकिन पहले उनके मानसिक विकलांगता प्रमाण-पत्र की जरूरत होने के कारण वह शिविर में पंहुचा ताकि चिकित्सा विभाग से प्रमाण पत्र ले सकें। दम्पत्ति प्रशासन शहरों के संग अभियान के शिविर में दोनों बच्चों को लेकर एक टेबिल से दूसरी टेबिल तक कर्मचारियों के कहने के अनुसार चक्कर काटता रहा लेकिन बाद में एक महिला पार्षद ने उनको चिकित्सा विभाग के कर्मचारियों के पास भेज दिया जहां मौजूद चिकित्साकर्मियों ने शिविर में चिकित्सक मौजूद नही होने पर सआदत अस्पताल टोंक से मानसिक विकलांग होने के लिए मेडिकल रिपोर्ट के लिए भेज दिया। आसिफ ने बताया कि वह शिविर से दूर पांच किलोमीटर सआदत अस्पताल गया जहां डॉक्टर मौजूद नही थे तथा चपरासी ने उसको रविवार को आने की सलाह दी जिस दिन ही उसके दोनों बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी। जिसके बाद ही मानसिक विकलांग प्रमाण पत्र मिल सकेगा। इतना ही नहीं शिविर मे उपखण्ड अधिकारी के मौजूद नही रहने के कारण मूल निवास एवं जाति प्रमाण पत्र बनवाने वाले युवको को भी निराश होना पड रहा है जहां मात्र कागजी कार्यवाही पूरी कर केवल राजस्व विभाग का पटवारी रिपोर्ट कर रहा है। जाति व मूल निवास बनवाने आए एक युवक राजेन्द्र ने कागजात वापिस लेते हुए कहा कि इतने दिन इंतजार करने से तो अच्छा है किसी भी मुंशी को पचास-साठ रूपये दे दूंगा जो ही कागज तैयार कर प्रमाण पत्र बनवा देगा।
फोटो कैप्शन 01:- आदर्श नगर टोंक में आयोजित प्रशासन शहरों के संग शिविर में एक अल्पसंख्यक दम्पत्ति अपने दो मानसिंक विकलांग बच्चों के प्रमाण पत्र के लिए इधर-उधर भटकती हुई।
फोटो:- रवि विजयवर्गीय
प्रेषक
रवि विजयवर्गीय पीपलू, टोंक
Saturday, February 20, 2010
Thursday, February 18, 2010
Monday, February 8, 2010
Tuesday, February 2, 2010
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