Friday, March 5, 2010
दिनकर vijayvargia
दिनकर विजयवर्गीय, टोंक
मूलभुत सविधाओं से वंचित कस्बा नगरफोर्ट
टोंक। टोंक, देवली, उनियारा और नैनवां तहसील के मध्य में स्थित नगरफोर्ट कस्बा अपनी धरती के आंचल में कई ऐतिहासिक रहस्य समेटे हुए है। प्राचीनकाल में मालव गणराज्य मालवगण राज्य की सत्ता का प्रमुख केंद्र रही धारानगरी वर्तमान में उपेक्षा का शिकार है। कभी अपनी समृद्धि के लिए प्रसिद्ध मालव गणराज्य की सत्ता का केंद्र रहे कस्बे का आज कोई धणीधरी नहीं है और यहां के वाशिंदे मूलभूत सुविधाओं से तरस है।
वर्तमान कस्बा नगरफोर्ट प्राचीन काल में मालव गणराज्य की सत्ता का प्रमुख केंद्र रहा। कस्बे की चार दीवारी के बाहर करीब 8 किमी क्षेत्रफल में प्राचीन नगर के अवशेष टीलों के रूप में नजर आते है। इन टीलों को इतिहास में खेड़ा सभ्यता के नाम से जाना जाता है। खेड़ा सभ्यता के टीलों में कई प्राचीन मंदिर आज भी विद्यमान है और यहां की बसवाट सुनियोजित है। टीलों के नामकरण भी किसी बड़े शहर की भांति है। टीलों में जौहरी बाजार, माणक चौक आदि स्थल है, जहां आज भी रंगीन पत्थर और नगीने मिलते है। खेड़ा सभ्यता से उत्तर में हिंदु समाज की आस्था का प्रमुख केंद्र मांडकलां सरोवर है। सरोवर की बसवाट पुष्कर की भांति है और यहां विभिन्न समाजों के मंदिर बने हुए। इसलिए इस मांडकलां सरोवर को जिले में लघु पुष्कर के नाम से जाना जाता है और पुष्कर की भांति ही यहां कार्तिक पूर्णिमा पवित्र स्नान होता है तथा 15 दिवसीय मेला आयोजित होता है। खेड़ा सभ्यता के दक्षिण में प्राचीन राजा मुचकंदेश्वर महादेव मंदिर है। मंदिर में विश्व का एक मात्र ऐसा शिव लिंग है जिसके सिंदुरी (कामी) का चौला चढ़ाया जाता है। इसी मंदिर के गर्भगृह में सेन (नाई) समाज के आराध्यदेव श्यामजी महाराज की प्रतिमा भी विराजमान है।
खेड़ा सभ्यता की खुदाई ब्रिटिस शासन काल के दौरान प्रसिद्घ पुरातत्ववेत्ता जनरल कनिंघम के सहायक पुरातत्वविज्ञ कार्लाइन के सानिध्य में हुई थी। कार्लाइन ने खेड़ा सभ्यता के चार मीटर क्षेत्र की खुदाई कर सर्वेक्षण किया था, जहां उन्हे ६ हजार चांदी के सिक्के मिले थे। इन सिक्कों पर ब्राह्मी लिपि में 'मालवाना जयÓ 'जय मालव गणराज्य Ó और 'कई मालव राजाओं के नाम अंकित है। इससे यह अनुमान लगाया गया कि यह प्राचीन नगर मालव गणराज्य राजधानी एवं सत्ता का प्रमुख केंद्र रहा होगा है। यहां मिलने वाले अवशेष प्राचीन काल में इसकी समृद्धि के द्योतक है। सन् 1982-83 में उपतहसील का दर्जा प्राप्त इस प्राचीन कस्बे का वाशिंदे वर्तमान में वाशिंदे भूलभूत सुविधाओं का तरस रहे है। जनप्रतिनीधियों एवं प्रशासनिक उपेक्षा के चलते आज इस प्राचीन कस्बे का कोई धणीधोरी नहीं है।
कैसे हुआ नामकरण
प्राचीनकाल से इस कस्बे का नाम धारा नगरी था, लेकिन कलांतर में इसे नगर के नाम से जाना जाने लगा। लेकिन राज्य में अन्य गांवों का नाम नगर होने से कई बार यात्री भटकते रहने तथा डाक व्यवस्था गड़बड़ाने के कारण बाद में इसमें नगर में पहचान के लिए 'फोर्ट Ó शब्द जोड़ दिया और इस प्रकार इस कस्बे को नगरफोर्ट के नाम से जाना जाने लगा।
दिनकर विजयवर्गीय, टोंक
९५२९२३७३७८
मूलभुत सविधाओं से वंचित कस्बा नगरफोर्ट
टोंक। टोंक, देवली, उनियारा और नैनवां तहसील के मध्य में स्थित नगरफोर्ट कस्बा अपनी धरती के आंचल में कई ऐतिहासिक रहस्य समेटे हुए है। प्राचीनकाल में मालव गणराज्य मालवगण राज्य की सत्ता का प्रमुख केंद्र रही धारानगरी वर्तमान में उपेक्षा का शिकार है। कभी अपनी समृद्धि के लिए प्रसिद्ध मालव गणराज्य की सत्ता का केंद्र रहे कस्बे का आज कोई धणीधरी नहीं है और यहां के वाशिंदे मूलभूत सुविधाओं से तरस है।
वर्तमान कस्बा नगरफोर्ट प्राचीन काल में मालव गणराज्य की सत्ता का प्रमुख केंद्र रहा। कस्बे की चार दीवारी के बाहर करीब 8 किमी क्षेत्रफल में प्राचीन नगर के अवशेष टीलों के रूप में नजर आते है। इन टीलों को इतिहास में खेड़ा सभ्यता के नाम से जाना जाता है। खेड़ा सभ्यता के टीलों में कई प्राचीन मंदिर आज भी विद्यमान है और यहां की बसवाट सुनियोजित है। टीलों के नामकरण भी किसी बड़े शहर की भांति है। टीलों में जौहरी बाजार, माणक चौक आदि स्थल है, जहां आज भी रंगीन पत्थर और नगीने मिलते है। खेड़ा सभ्यता से उत्तर में हिंदु समाज की आस्था का प्रमुख केंद्र मांडकलां सरोवर है। सरोवर की बसवाट पुष्कर की भांति है और यहां विभिन्न समाजों के मंदिर बने हुए। इसलिए इस मांडकलां सरोवर को जिले में लघु पुष्कर के नाम से जाना जाता है और पुष्कर की भांति ही यहां कार्तिक पूर्णिमा पवित्र स्नान होता है तथा 15 दिवसीय मेला आयोजित होता है। खेड़ा सभ्यता के दक्षिण में प्राचीन राजा मुचकंदेश्वर महादेव मंदिर है। मंदिर में विश्व का एक मात्र ऐसा शिव लिंग है जिसके सिंदुरी (कामी) का चौला चढ़ाया जाता है। इसी मंदिर के गर्भगृह में सेन (नाई) समाज के आराध्यदेव श्यामजी महाराज की प्रतिमा भी विराजमान है।
खेड़ा सभ्यता की खुदाई ब्रिटिस शासन काल के दौरान प्रसिद्घ पुरातत्ववेत्ता जनरल कनिंघम के सहायक पुरातत्वविज्ञ कार्लाइन के सानिध्य में हुई थी। कार्लाइन ने खेड़ा सभ्यता के चार मीटर क्षेत्र की खुदाई कर सर्वेक्षण किया था, जहां उन्हे ६ हजार चांदी के सिक्के मिले थे। इन सिक्कों पर ब्राह्मी लिपि में 'मालवाना जयÓ 'जय मालव गणराज्य Ó और 'कई मालव राजाओं के नाम अंकित है। इससे यह अनुमान लगाया गया कि यह प्राचीन नगर मालव गणराज्य राजधानी एवं सत्ता का प्रमुख केंद्र रहा होगा है। यहां मिलने वाले अवशेष प्राचीन काल में इसकी समृद्धि के द्योतक है। सन् 1982-83 में उपतहसील का दर्जा प्राप्त इस प्राचीन कस्बे का वाशिंदे वर्तमान में वाशिंदे भूलभूत सुविधाओं का तरस रहे है। जनप्रतिनीधियों एवं प्रशासनिक उपेक्षा के चलते आज इस प्राचीन कस्बे का कोई धणीधोरी नहीं है।
कैसे हुआ नामकरण
प्राचीनकाल से इस कस्बे का नाम धारा नगरी था, लेकिन कलांतर में इसे नगर के नाम से जाना जाने लगा। लेकिन राज्य में अन्य गांवों का नाम नगर होने से कई बार यात्री भटकते रहने तथा डाक व्यवस्था गड़बड़ाने के कारण बाद में इसमें नगर में पहचान के लिए 'फोर्ट Ó शब्द जोड़ दिया और इस प्रकार इस कस्बे को नगरफोर्ट के नाम से जाना जाने लगा।
दिनकर विजयवर्गीय, टोंक
९५२९२३७३७८
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